Design a site like this with WordPress.com
Get started

हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी

परमाणु बम

दोस्तों आइए, उस परमाणु नर-संहार पर दृष्टि डालते हैं, जिसे सुनकर आज भी दुनिया दहल जाती है। वर्ष 1945 में इसी अगस्त माह की छह तारीख को एनोला गे नामक एक अमेरिकी बी-29 बमवर्षक ने ‘लिटिल ब्वॉय’ नामक परमाणु बम हिरोशिमा पर बरसाया था। अमेरिकी बॉम्बर प्लेन बी-29 ने जमीन से तकरीबन 31000 फीट की ऊंचाई से परमाणु बम गिराया था। जिस जगह पर बम गिराया गया था, उसके आसपास की हर चीज जलकर खाक हो गई थी। जमीन लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस गर्म हो उठी थी। उस परमाणु हमले में लगभग 1.4 लाख लोग मारे गए थे। जो लोग बम हमले से बच गए थे, रेडिएशन की चपेट में आने के कारण बाद में मर गए थे। इसी तरह जापान के पत्तन शहर नागासाकी पर भी 9 अगस्त को परमाणु बम से हमला बोला गया था। इसमें 70 हजार लोग मारे गए थे।

जानकारों के मुताबिक अमेरिका हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर किसी शहर के ऊपर इस बम का टेस्ट करना चाहता था। उसने जापान की राजधानी टोक्यो पर हमला इसलिए नहीं किया क्योंकि वहां पर पहले ही काफी बमबारी हो चुकी थी। ऐसे में परमाणु बम से होने वाली तबाही और पहले से हुई तबाही में अंतर कर पाना मुश्किल होता। एक और जापानी शहर क्योटो पर भी परमाणु बम गिराने की योजना इसलिए टाली गई क्योंकि वहां एक टॉप अमेरिका अधिकारी, सेक्रेटरी ऑफ वॉर हेनरी स्टिमसन ने अपना हनीमून मनाया था और वे नहीं चाहते थे कि शहर की सांस्कृतिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाया जाए। इसलिए हिरोशिमा और नागासाकी को चुना गया।

1945 की गर्मियों के अंतिम महीने में पॉट्सडैम शांति सम्मेलन के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने इस बात का ऐलान किया कि अमरीका के पास एक नया सुपर हथियार है। कहा जा रहा था कि ट्रूमन इस जुमले को कहकर सोवियत नेता जोसेफ़ स्टालिन की आँखों में डर और ख़ौफ़ को देखना चाहते थे। लेकिन स्टालिन ने ऐसा प्रभाव दिया जैसे कि कुछ भी नहीं हुआ है। और इसके कुछ ही दिनों के बाद हिरोशिमा और नागासाकी की त्रासदी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया।

यूरेनियम वाला बम हिरोशिमा पर गिराया गया और प्लूटोनियम वाला नागासाकी पर। यह दूसरा बम बहुत ख़र्चीला था और तब तक बिना परीक्षण का था। यानी उसका गिराया जाना सीधे लड़ाई के मैदान में परीक्षण जैसा था।
कहा जाता है कि परमाणु बम का निर्माण 1941 में तब शुरू हुआ जब नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन रूजवेल्ट को इस प्रोजेक्ट को फंडिंग करने के लिए राजी किया। उस समय खुद आइंस्‍टीन ने भी नहीं सोचा होगा कि उसके इतने घातक परिणाम होंगे।

6 अगस्त को हिरोशिमा पर हुआ था परमाणु हमला

त्रासदी

दोस्तों, परमाणु बम गिराने के लिए हिरोशिमा को इसलिए निशाना बनाया गया था क्योंकि अमरीकी वायुसेना के हमलों में इसे टारगेट नहीं किया गया था। ऐसे में परमाणु बम की विध्वंस क्षमता का पता लगाना आसान होता। यह जापान का अहम सैन्य ठिकाना भी था। इसके अलावा ज़्यादा आबादी वाले द्वीपों को निशाना बनाने से परहेज किया गया था।
विस्फोट के बाद हिरोशिमा में जगह-जगह आग लग गई थी. ये आग तीन दिनों तक जारी रही। विस्फोट होते ही 60 हज़ार से 80 हज़ार लोगों की मौत तुरंत हो गई। बम धमाके के बाद इतनी गर्मी थी कि लोग सीधे जल गए। इसके बाद हज़ारों लोग परमाणु विकिरण संबंधी बीमारियों के चलते मारे गए। इस विस्फोट में कुल 1,35,000 लोगों की मौत हुई थी।

बम हिरोशिमा के तय जगह पर नहीं गिराया जा सका था, यह हिरोशिमा के आइयो ब्रिज के पास गिरने वाला था मगर उल्टी दिशा में बह रहे हवा के कारण यह अपने लक्ष्य से हटकर शीमा सर्जीकल क्लिनीक पर गिरा। कनेर (ओलियंडर) नाम का फूल इस हमले के बाद सबसे पहले खिला था, यह हिरोशिमा का ऑफिशियल फूल है।

9 अगस्त को नागासाकी पर हुआ था परमाणु हमला

दोस्तों अमेरिका द्वारा फिर एक बार दूसरा परमाणु हमला 9 अगस्त 1945 को किया गया था। इस समय निशाना था जापान का कोकुरा शहर, लेकिन कुछ कारण की वजह से इस बम का शिकार नागासाकी बना। यह बमवर्षक बी-29 सुपरफोर्ट्रेस बॉक्स पर लदा हुआ था। यह बम किसी भीमकाय तरबूज-सा था और वज़न था 4050 किलो। बम का नाम विंस्टन चर्चिल के सन्दर्भ में ‘फैट मैन’ रखा गया।

नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6.7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई। लगभग 74 हजार लोग इस हमले में मारे गए थे और इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए थे। इसी रात अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने घोषणा की-जापानियों को अब पता चल चुका होगा कि परमाणु बम क्या कर सकता है।’ उन्होंने कहा-अगर जापान ने अभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया तो उसके अन्य युद्ध प्रतिष्ठानों पर हमला किया जाएगा और दुर्भाग्य से इसमें हजारों नागरिक मारे जाएंगे।

15 अगस्त को जापान ने किया आत्मसमर्पण

यह परमाणु हमला जापान को दूसरे विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण कराने के लिए किया गया था। जापान दूसरे विश्व युद्ध में धुरी राष्ट्र के साथ था और अमेरिका मित्र राष्ट्रों के साथ। यह दुनिया का पहला और अंतिम परमाणु हमला हैं। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन (Harry S. Truman) थे। इस हमले के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था।परमाणु बम के इस्तेमाल से अमेरिका ने न सिर्फ अपने उन्नत तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि वैश्विक राजनीति में अपनी निर्णायक भूमिका की शुरुआत भी की।

बम वर्षा के कुछ दिन बाद 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था और युद्ध समाप्त हो गया था।

कहा जाता हैं अगर जापान 15 अगस्‍त को सरेंडर नहीं करता तो अमेरिका ने 19 अगस्‍त को एक और शहर पर परमाणु बम गिराने की योजना बनाई थी।

आज के परमाणु संपन्न देश

विश्व का नक्शा

दोस्तों आज के परमाणु संपन्न देशो के पास सन 1945 के दुसरे विश्व युद्ध की तुलना में कई गुणा अधिक मारक क्षमता की युद्ध सामग्री एकत्रित हो चुकी है। हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों की तुलना में , उनसे एक लाख गुणा अधिक शक्तिशाली बम बना लिए गए हैं। अमेरिका, चीन जैसा कोई तामसिक, अहंकारी, स्वार्थी और साम्राज्यवादी देश कब क्या कर बैठे, कहना कठिन है। परमाणु बमों जैसे घातक बमों का जखीरा इन परमाणु सम्पन्न देशों के पास इतनी अधिक मात्र में है कि उनसे दुनिया को कई बार तबाह किया जा सकता है। अनुमान है कि अमेरिका ने 10640 , रूस 10000 , फ्रांस 464 , चीन 420 , इस्राईल 200 , यु.के. 200 , भारत 95 तथा पाकिस्तान ने 50 घातक परमाणु बम या इनसे भी शक्तिशाली बमों का निर्माण कर लिया है।

Published by Akashdeep gupta

नमस्कार! Knowledgepur में आपका स्वागत हैं , इस ब्लॉग पर हम रोजाना current News से जुड़ी जानकारी पोस्ट करते रहते है और साथ ही साथ इलेक्ट्रिकल से जुड़ी जानकारी को  अपडेट  करते रहते हैं , जो आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में आपको या आपके परिवार में किसी सदस्य को काम आ सकती है |  जैसे - घर की वायरिंग करना,पंखा बनाना, मोटर बनाना, एल. ई. डी.बल्ब बनाना इत्यादि इत्यादि और उसके साथ साथ theoretical knowledge भी दिया जाता है। Knowledgepur का उद्देश्य है,उन लोगो की मदद करना जिनको अंग्रेजी नहीं आती है, जिसके अभाव से वे लोग इलेक्ट्रिकल को समझ नहीं पाते है जिसके कारण उनके ऊपर बिजली का खतरा बना रहता है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: