
भारत और चीन के बीच तिब्बत
दोस्तों आपके जानकारी के लिए बता दूं कि पहले चीन,भारत का पड़ोसी देश नहीं था। जी हां आपने सही सुना।
तो दोस्तों,
तिब्बत ही वह देश था जिसने भारत और चीन को भौगोलिक रूप से हजारों सालो तक अलग और शांति के साथ रखा था। लेकिन 1950 में तिब्बत पर चीन के आक्रमण और कब्जे के बाद ही दोनों देश एक दूसरे के पड़ोसी देश बनें हैं और न ही इससे पहले इनमें कोई सीमा विवाद या मतभेद होते थे,और न ही इनमें कोई एक दूसरे के प्रति कोई लगाव था। लेकिन जब भारत 1947 में आजाद हुआ और उसी समय 1949 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी,जिसका उद्देश्य अपने देश की सीमा में विस्तार करना है,चीन की इसी नीति के चलते इन दोनों देशों में मतभेद होना शुरू हो गया।यही कारण है कि पंचशील समझौता होने के बावजूद जिसमें यह भी शामिल था कि कोई एक दूसरे के सीमा में प्रवेश नहीं करेगा।उसने 1962 में भारत पर आक्रमण कर दिया और हमारे जम्मू कश्मीर के एक भाग को जिसे अक्शाई चीन कहते है उसपर कब्जा कर लिया।
भारत-चीन विश्व की उभरती हुई महाशक्तियां
दोस्तों जैसा कि हम लोग जानते हैं कि
आज के समय में भारत और चीन, जो कि विश्व की जनसख्या के एक-तिहाई भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं,जो की व्यापार के लिहाज से भी पूरे विश्व के देशों की ध्यान आकर्षित करते है।और ऐसा लगता है, आने वाले समय में पूरे विश्व में इन दोनों का ही राज होगा।
क्यूंकि इन दोनों देशों के पास संसाधन के साथ साथ मैन पॉवर भी है।
भारत-चीन एक दूसरे के विरोधी
दोस्तों ये दोनों देश एक दूसरे को बहुत टक्कर देते हैं,चाहे वह व्यापार हो, या फिर सीमा विवाद कोई किसी से पिछे नहीं रहना चाहता।दोनों देश जी जान से एक दूसरे को टक्कर देते हैं।एक 4th generation ki लड़ाकू विमान बनाता है, तो दूसरा 5th generation की खरीदता है।एक अपने आप को शेर कहता है तो दूसरा सवा शेर।
दोस्तो आप के जानकारी के लिए बता दूं कि एक तरफ भारत जहां गणतंत्र एवं लोकतंत्र जैसी विचारधारा रखता है तो वहीं दूसरी तरफ चाइना साम्यवादी जैसी विचार धारा रखता है जिसकी वजह से दोनों की राजनीति सोच और रणनीति में बदलाव नजर आता है जिसकी वजह से इन दोनों देशों का मेल नहीं हो पाता है।इसलिए दोनों ही देश एक दूसरे का विरोध करते है।
भारत-चीन में मतभेद
दोस्तो हाल ही में दक्षिणी चीन सागर में भारत अपनी रुचि दिखा रहा है,जो कि चाइना को नागवार लग रहा है तथा भारत ने तिब्बत के दलाई लामा को सरण दिया है जो कि चाइना को ये बाते पसंद नहीं है इन दोनों बातों को लेकर इन दोनों के बीच मतभेद हो रहा है।
दोस्तों ये अलग बात है कि आय दिन इन दोनों के बीच सांतिपुर्वक समझौते होतें हैं। लेकिन इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद इतना जटिल है कि मानो ऐसा लगता है कि ये दोनों कभी भी एक दूसरे से संतुष्ट नहीं हो सकते।और दूसरा कारण है कि एक तरफ भारत जहां समाज कल्याण की भावना रखता है, तो दूसरी तरफ चाइना विस्तारवादी नीति की भावना रखता है।
इन्हीं दोनों वजहों से इं दोनों के बीच अच्छा रिश्ता होना असम्भव लगता है।
भारत-चीन व्यापार
दोस्तों आपको एक और बात बता दूं कि एक तरफ जहां चाइना हमारे देश से प्रति वर्ष 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार करता है तो दूसरी तरफ भारत सिर्फ 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष का व्यापार करता है चाइना देश के साथ,जिसका साफ साफ मतलब है कि चाइना हमारे देश से प्रति वर्ष 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर अपने देश में लेकर चला जाता है।यानी भारत देश को 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा होता है चाइना देश के साथ।
तो दोस्तो आप मुझे बताइए कि क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि हमारे देश के लोगो को स्वदेशी वस्तुएं इस्तेमाल करना चाहिए,क्या हुआ कुछ स्वदेशी वस्तुएं महंगा है,लेकिन है तो अपने ही देश का न आप एक बार अपने दिल से पूछिए कि ऐसे चाईनीज सस्ते समान खरीदने से क्या फायदा होगा जिस पैसे को इस्तेमाल कर चीन हमारे देश में ही अशांति फैला रहा है।
दोस्तो अभी हाल ही में मैंने देखा कि एक चाइना मोबाइल ने फ्लिपकार्ट पर सेल लगाया जिसको 2 मिनट में ही 1.5 अरब रुपए का मोबाइल हमारे देश के लोगों ने खरीद लिया।
दोस्तो क्या इससे ऐसा नहीं लगता कि हमारे देश के लोग स्वदेशी वस्तुओं से ज्यादा सस्ते चाइना वस्तुओं को खरीदने में ज्यादा इच्छुक हैं।
भारत-चीन सीमा विवाद
कड़वी सच्चाई तो यही है कि चीन LAC रेखा को स्पष्ट करने को तैयार नहीं है । क्यूंकि ऐसा करने पर भारत पर सैन्य दबाव कम हो जाएगा। भारत और चीन एक ऐसे पड़ोसी देश है जो लगभग 30 वर्षों से सीमा को लेकर लगातार चल रहे संवाद के बावजूद इनका कोई निर्धारित बॉर्डर नहीं है
और सच्चाई यह है कि विश्व इतिहास में इन दो देशों की सबसे लंबी चल रही विवाद के विफल रहने के लिए चीन ही जिम्मेदार है। क्योंकि एक तरफ जहां वह अक्षाई चीन पर किए गए कब्जे पर बात नहीं करना चाहता तो वहीं दूसरी तरफ अरुड़ांचल प्रदेश के
तवांग घाटी को अपने भू-भाग में शामिल करने के लिए, जी जान से कोशिश कर रहा है ,जो कि स्पष्ट रूप से महत्त्वपूर्ण गलियारा है, इससे यही बात पता चलती है , कि चीन निसंदेह इस नियम पर चल रहा है कि जो कुछ उसने कब्जा लिया है ,उस पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता पर जिन क्षेत्रों पर उसका दावा है केवल उसी के विषय में बात की जा सकती है ।
यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सीमा में चीनी सेना द्वारा घुसपैठ की 500 से अधिक वारदातें हुई हैं ।