
दोस्तों आपको बता दूं कि पिछली बार 15 अगस्त के दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले से ‘जनसंख्या विस्फोट’ की बात कर एक ऐसे मुद्दे को छुआ है, जिस पर अब तक तमाम सरकारें जी चुराती रही हैं। इससे पहले
राजीव गाँधी जी ने एक बार इसकी चर्चा की थी और यह लंबे समय के लिए इसे देश की सबसे बड़ी समस्या बताई थी। बीते पिछले साल मोदी जी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा, ‘हमारे यहां जो जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, यह आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा करता है। लेकिन यह भी मानना होगा कि देश में एक जागरूक वर्ग भी है जो इस बात को अच्छी तरह से समझता है,और पालन भी करता है
आज़ादी के बाद कितनी आबादी बढ़ी है
आपको पता होना चाहिए कि आजादी के बाद 1951 में हुई पहली जनगणना में देश की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी, जो पिछली जनगणना यानी 1941 से 4 करोड़ 20 लाख अधिक थी। देश की आबादी अगले 10 वर्षों में 21.5 प्रतिशत यानी 7.81 करोड़ बढ़ी। यह एक दशक की सबसे बड़ी वृद्धि थी। इसके बाद के दशक यानी 1961 से 1971 के बीच की आबादी में 24.8 प्रतिशत की वृद्धि यानी 10.9 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद के दशक यानी 1971-81 के बीच जनसंख्या 25 प्रतिशत यानी 13.76 करोड़ बढ़ी। वर्ष 1991 में भारत की जनसंख्या 84.63 करोड़ हो गई। इसके बाद के दशक यानी 2001 में देश की आबादी 102.70 करोड़ थी। इसने पहली बार 100 करोड़ का आँकड़ा पार किया,और 2011 कि जनगणना के बाद इसने 120 करोड़ का आंकड़ा भी पार किया।

क्या भारत में जनसंख्या विस्फोट हो चुका है?
परिभाषा के अनुसार जनसंख्या विस्फोट, जनसंख्या में वृद्धि की उस दर को कहते हैं जब मौजूदा संसाधन इस वृद्धि को सहारा देने में सक्षम नहीं होता है। कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जा सकता है, क्योंकि इससे कई तरह की समस्याएँ पैदा होंगी। खाने पीने की चीजों में कमी, ग़रीबी, बेरोज़गारी, निम्न जीवन स्तर और इससे जुड़ी कई दूसरी बातें सामने आती हैं।
क्या आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा भारत

आपको बता दूं कि चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत तो है ही, इसकी आबादी बढ़ने की दर भी बहुत ज्यादा है। लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि दूसरे कारक अधिक ख़तरनाक हैं। भारत के पास पूरी दुनिया का 2.4 प्रतिशत भू-भाग है और विश्व आय का सिर्फ़ 2 प्रतिशत इसकी आमदनी है, लेकिन दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी भारत में है। एशिया की चौथीई आबादी इस देश में रहती है। फिलहाल देश की जनसंख्या वृद्धि की सालाना दर 1.90 प्रतिशत है। यह पहले से कम है, हालांकि इस दौरान मृत्यु दर कम हुई है और स्वास्थ्य कोई बेहतर नहीं हुआ है।
क्या बढ़ती जनसंख्या हमारी कम ‘जीडीपी वृद्धि दर’ का कारण है
दोस्तों इसे इस तरह समझा जा सकता है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत में प्रति व्यक्ति आय उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है। वर्ष 1950-51 और वर्ष 1980-81 के बीच औसत वार्षिक राष्ट्रीय आय 3.6 प्रतिश की दर से बढ़ी, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 1 प्रतिशत की दर से ही हुई है। इसकी वजह यह है कि इस दौरान जनसंख्या में 2.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।
भारत में जनसंख्या के कारण हो रही है खाद्य पदार्थों की कमी
जनसंख्या में वृद्धि का नतीजा यह होता है कि प्रति व्यक्ति खाद्य उत्पादों यानी खाने पीने की चीजों की कमी हो जाती है। अधिक जनसंख्या वाली अर्थव्यवस्था में विकास और कृषि उत्पादों में वृद्धि होने के बावजूद खाद्य संकट बना रहता है क्योंकि जो दर से कृषि विकास होता है, उसके ऊँची दर से जनसंख्या बढ़ती है।
भारत में जनसंख्या के हिसाब से कितनी निवेश की जरूरत है
आपको पता होना चाहिए कि हमारे देश में पूँजी निवेश और उसके परिणाम अर्थात कैपिटल आइटम रेशियो 4: 1 है। इस पर जनसंख्या में वृद्धि की दर 1.8 प्रतिशत हर वर्ष है। यानी भारत में विकास की स्थिति को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय आय का 7.1 प्रतिशत निवेश करना होगा।
भारत में बढ़ती जनसंख्या के कारण हो रही है रोजगार में कमी
नेशनल सैंपल डेवलपर ऑर्गनाइजेशन यानी एनएसएसओ के इंट चार्ट के मुताबिक़ भारत में बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चतम स्तर पर है। आर्थिक मंदी तो इसकी वजह है ही,साथ ही साथ जनसंख्या वृद्धि भी इसकी बड़ी वजह है।
बड़ी जनसंख्या मतलब बड़ा बाजार
दोस्तो, जहाँ अधिक जनसंख्या होगी, वहाँ बहुत बड़ा बाज़ार भी होगा। इस बड़े बाज़ार की क्रय शक्ति थोड़ी बहुत बढ़ी तो वह बहुत अधिक मात्रा में उत्पाद खरीद सकता है। इससे खपत बढ़ेगी, पसंद बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था के विकास में ये दो बड़े कारक हैं। भारत में नरसिम्हा राव के समय जो आर्थिक सुधार कार्यक्रम चला गया, उसका बड़ा लाभ यह मिला कि एक बहुत बड़ी मध्यमवर्गीय समीक्षा, जिसके पास पहले से ज्यादा खरीदारी की ताकत थी। हालाँकि यह क्रय शक्ति यूरोप जैसी अर्थव्यवस्था की तुलना में बहुत ही कम थी, पर इस बड़े बाज़ार ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को आकर्षित किया। इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत का महत्व तो बढ़ा ही, विश्व राजनीति में भी इसकी धाक बढ़ी। यही कारण है कि चीन और अमेरिका जैसे देश भी पाकिस्तान से नफरत कर भारत पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।
अधीक जनसंख्या से वेतन में आती है गिरावट
अधिक जनसंख्या के आर्थिक फ़ायदे भी होती हैं, उनका लाभ उठाने की नीति होनी चाहिए। अधिक जनसंख्या के कारण सस्ते में बहुत बड़ा श्रमिक वर्ग मिलता है। सस्ते श्रम से उत्पादन लागत कम होती है और उत्पाद सस्ता होता है। विश्व अर्थव्यवस्था पर चीन के छा जाने की एक वजह यह भी है।
सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या भारत में है
दोस्तों आपको बता दूं कि भारत की जनसंख्या की बड़ी खूबी यह है कि इसका 60 प्रतिशत भाग 40 वर्ष या उससे कम आयु का है। यह दुनिया की सबसे युवा आबादी है। इनमें काम करने की क्षमता अधिक होती है, खपत अधिक होती है, खर्च अधिक होता है, पसंद अधिक होती है। दूसरी ओर इनपर स्वास्थ्य सेवा का खर्च कम होता है, पेंशन का बोझ कम होता है। यूरोपीय अर्थव्यवस्था फ़िलहाल इस समस्या से जूझ रही है। चीन उस दिशा में बढ़ रहा है, इसलिए चीन अभी तक इसके रास्ते तलाश रहा है।
यूपी सरकार आबादी नियंत्रण के लिए क्या करेगी
👉सरकारी नौकरी पाने, चुनाव लडऩे, पार्टी में बड़ा पद पाने पर भी लगेगी आजीवन प्रतिबंध
👉 दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने पर राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन होगी बंद
👉दो से अधिक बच्चे वालों को सरकारी स्कूल, हॉस्पिटल और बाक़ी सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिलेगी
11 राज्य जहां लागू है जनसंख्या नियंत्रण नीति
1 बिहार-टू चाइल्ड पॉलिसी नगर पालिका चुनाव लडऩे की इजाज़त नहीं देती
2 उत्तराखंड-टू चाइल्ड पॉलिसी सिर्फ नगर पालिका चुनावों तक सीमित
3 आंध्र प्रदेश-1994 में पंचायती राज एक्ट के अनुसार दो से अधिक बच्चे होने पर चुनाव लडऩे पर रोक
👉दो से अधिक बच्चे वाले केवल तभी चुनाव लड़ सकते हैं यदि उनके पहले दो बच्चों में से कोई एक दिव्यांग हो।
4 गुजरात में लोकल अथॉरिटीज एक्ट के अनुसार दो से अधिक बच्चे वाले पंचायत और नगर पालिका के चुनाव नहीं लड़ सकते
5 मध्य प्रदेश- 2001 में टू चाइल्ड पॉलिसी के तहत सरकारी नौकरियों और स्थानीय चुनाव लडऩे पर थी रोक, लेकिन 2005 में फैसला बदल दिया
👉सरकारी नौकरियों और ज्यूडिशियल सेवाओं में अब भी टू चाइल्ड पॉलिसी लागू
6 छत्तीसगढ़-टू चाइल्ड पॉलिसी के तहत सरकारी नौकरियों और स्थानीय चुनाव लडऩे पर थी रोक, लेकिन 2005 में फैसला बदल दिया
👉सरकारी नौकरियों और ज्यूडिशियल सेवाओं में अब भी टू चाइल्ड पॉलिसी लागू
7. तेलंगाना- पंचायती राज एक्ट के अनुसार दो से अधिक बच्चे होने पर चुनाव लडऩे रोक
8. राजस्थान- पंचायती एक्ट 1994 के अनुसार दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य
9 महाराष्ट्र – से अधिक बच्चे वालों को ग्राम पंचायत और नगर पालिका के चुनाव लडऩे पर रोक
👉महाराष्ट्र सिविल सर्विसेस रूल्स ऑफ 2005 के अनुसार ऐसे शख्स को राज्य सरकार में कोई पद भी नहीं मिल सकता
👉जिन महिलाओं को दो से ज्यादा बच्चे वे पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के फायदों से बेदखल
10 असम-एक जनवरी 2021 के बाद दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्तियों को कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।
11 ओडिशा-दो से अधिक बच्चे वालों को अरबन लोकल बॉडी इलेक्शन लडऩे की इजाजत नहीं
11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि बढ़ती जनसंख्या संबंधी समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है। ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ पहली बार 1989 में तब मनाया गया था, जब विश्व की आबादी 5 बिलियन पहुंच गई थी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की शासकीय परिषद ने जनसंख्या संबंधी मुद्दों की आवश्यकता एवं महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ के रूप में मनाने की अनुशंसा की थी। तभी से जनसंख्या रुझान और बढ़ती जनसंख्या के कारण पैदा हुई प्रजननीय स्वास्थ्य, गर्भ निरोधक और अन्य चुनौतियों के बारे में ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ पर प्रत्येक वर्ष विचार-विमर्श किया जाता है।
आप लोगो को पता होगा कि जनसंख्या वृद्धि पर लगाम कसने का सबसे सरल उपाय परिवार नियोजन ही है। लोगों में नजागृति का अभाव होने के कारण वे 10-12 बच्चों की फौज खड़ी करने में वे कोई परहेज नहीं करते हैं इसलिए सबसे पहले उन्हें जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने की बहुत आवश्यकता है। यह समझने की जरूरत है कि जनसंख्या को बढ़ाकर हम अपने आने वाले कल को ही खतरे में डाल रहे हैं।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमारे संविधान में क्या कहा गया है
👉15 अगस्त 2019 को पीएम मोदी जी ने देश में बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर भाषण दिया।
👉 1976 में 42वां संविधान संशोधन विधेयक पास हुआ। संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन जोड़ा गया।
👉42वें संविधान संशोधन ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया।
👉’हम दो, हमारे दो’ कानून बनाने को लेकर 09 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया
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