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भारत-नेपाल विदेश नीति

हिमालय पर घूमते हुए पर्यटक

भारत-नेपाल के विचारो में मतभेद:

दोस्तों आज हम लोग बात करेंगे भारत और नेपाल के संबंध के बारे में, कि कैसे दोनों देशों की सदियों पुरानी मित्रता में दरार आ गया, और जिसका कारण कोई और नहीं दोस्तों बल्कि चाइना है।जी हां दोस्तों चीन ही पुराने दोस्ती में दरार का कारण है,आज आप लोगों को पता चल ही जाएगा कि आखिर कैसे इन दोनों देशों के दोस्ती में दरार आयी तो दोस्तो बात उन दिनों की है,जब नेपाल में संविधान को लेकर घरेलू हिंसा हो रहा था।और सत्ता पलटी का दौर चल रहा था। तभी से भारत और नेपाल में आपसी विचार धारा का टकराव हुआ और इन दोनों के बीच विवाद होना शुरू हुआ।

दोस्ती में दरार का झलक:

दोस्तो क्या आपको पता है कि हाल ही में भारत में आयोजित हुए सैन्य अभ्यास MILEX-18  में नेपाल ने अचानक शामिल होने से इनकार कर दिया है, पुणे में हुए इस अभ्यास में बिम्सटेक देशों को आमंत्रित किया गया था जिसका नेपाल देश भी सदस्य है, लेकिन उसने इस अभ्यास में सामिल होने से मना कर दिया जिससे भारत सोच में पड़ गया है।

चीन की चाल:

दोस्तो आपको क्या लगता है कि नेपाल का भारत से रुख मोड़ने के पीछे चालबाज चीन का हाथ है क्युकी दोस्तों
जहां नेपाल ने भारत देश में सैन्य अभ्यास करने से मना कर दिया वहीं दूसरी तरफ चीन के साथ सागरमाथा फ्रेंडशिप नामक सैन्य-अभ्यास के दूसरे चरण में शामिल होने के लिये मंजूरी प्रकट कर दिया। तो दोस्तों आप बताइए कि इसे ‘चीनी सड़यंत्र कहा जाए या फिर नेपाल की कूटनीतिक चाल क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से चीन लगातार भारत सरकार को परेशान करने की कोशिश कर रहा है। बात चाहे जो भी हो इससे भारत को बहुत ही नुकसान है क्यूंकि नेपाल हमारा बहुत पुराना और गहरा साथी है, लेकिन चाइना की कूटनीति से भारत और नेपाल की दोस्ती में दरार आ रहा है।
अब देखना ये है कि मोदी जी ऐसी कौन सी कूटनीति अपनाते हैं,जिससे भारत और नेपाल की दोस्ती पहले की तरह पक्की हो जाए।

भारत की कूटनीति

दोस्तो अभी हाल फिलहाल भारत और नेपाल की तनाव बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ भारत के दूसरे पड़ोसी देश भी आंखे दिखा रहे है।
इससे क्या ऐसा नहीं लगता कि भारत देश की कूटनीति फीकी पड़ गई है।
और भारत को अपने कूटनीति में अपडेट होने की जरूरत है।

नेपाल की विचार धारा:

बौद्ध भिक्षुक

तो दोस्तो क्या भारत को इन सभी कोशिशों को नेपाल की चीन से बढ़ती नजदीकी का नतीजा है,के रूप में देखना उचित है?

देखने का नजरिया कुछ भी हो दोस्तो ऐसे में बड़ा सवाल है यह कि क्या भारत और नेपाल के बीच वर्षों पुराने संबंधों पर ‘चीनी चाल’ भारी पड़ रही है? या फिर यह मान लिया जाए कि इन दिनों नेपाल जरूरत से ज्यादा महत्त्

लालची बन गया है और भारत उसकीजरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है।आपको क्या लगता है दोस्तो, क्या चीन भारत को दक्षिण एशिया में अलग थलग करने की कोशिश कर रहा है,या फिर यह मान लिया जाए कि नेपाल में इस समय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है,जिससे चाइना के प्रति नेपाल का झुकाव बढ़ रहा है।

चाइना का नेपाल को समर्थन:

दोस्तो क्या आपको नहीं लगता कि भारत और नेपाल के बीच रिश्ते कुछ ज्यादा ही बिगड़ते जा रहे हैं। क्यूंकि जब 2015 में नेपाल में संविधान को लेकर आंदोलन हुआ था, उस समय भारत-नेपाल सीमा कई दिनों तक बंद थी।क्यूंकि नेपाल नहीं चाहता था कि भारत नेपाल के मामलों में दखल दे,जिसके कारण भारत और नेपाल के बीच तनाव बढ़ा था। दोस्तो आप लोगो को मै बता दूं कि इस समय नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी कि सरकार है,जो कि चाइना कि विचार धारा से मेल खाती है।यही कारण है कि दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ता गया ।
फिर ठीक एक साल बाद दोस्तो 2016 में नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली भारत आएं और भारत के साथ अच्छे रिश्ते के बारे में कहा

उसके कुछ महीने बाद भारत और नेपाल के बीच 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और ऐसा लग रहा था कि इसके साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव खत्म हो जाएगा।लेकिन,यह बात चीन कोपसंद नहीं आयी,और उसने नेपाल को अपनी तरफ कर लिया और भारत को ट्रायंगल में उलझा दिया।और फिर कुछ दिन बाद जब नेपाली प्रधान मंत्री के पी शर्मा ओली जब चीन गए थे तब उन्होंने दोनों देशों के बीच 14 मुद्दों पर हस्ताक्षर किया। चीन इन दिनों नेपाल में भारी निवेश कर रहा है । वह नेपाल में सड़क, बिजली आदि
परियोजनाओं पर पहले से ही काम कर रहा है। यहां तक कि वह चीन और तिब्बत के बीच रेल बिछा रहा है जिसके रास्ते चाइना और नेपाल के बीच व्यापार आसान हो जाएगा।
दोस्तो आपको क्या लगता है कि चीन इतना सब कर के नेपाल की मदद कर रहा है।या इसके पीछे धोखेबाज चीन की कोई चाल है।
क्यूंकि जिस तरह से चीन नेपाल पर मेहरबान है,इसपर सक होना तो आम बात है
क्यूंकि दोस्तो

चीन नेपाल को कई चीनी बंदरगाहों को उपयोग करने की भी अनुमति दे दिया है।

नेपाल का लालच:

दोस्तो इतना मदद पाने से कोई भी देश उसके साथ खड़ा हो जाएगा।और अपने पुराने दोस्त से ही बैर करने को तैयार हो जाएगा,लेकिन एक बात याद रख लो दोस्तो  लालच करना बुरी बला होती है।और एक ना एक दिन उसके कर्मों का फल उसे जरूर मिलता है फिर वो चाहे एक इंसान हो या फिर कोई नेपाल जैसा लालची देश।

आशा है कि आगे ईन दोनों मित्रों के बीच संबंध अच्छे होंगे

Published by Akashdeep gupta

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